खिसकी नाभि को सही जगह, फिर कभी न होगी ये परेशानी लक्षण और घरेलू उपाय

 

क्या आपने कभी नाभि टलने (Navel Sidestep) के बारे में सुना है? जानिए कारण, लक्षण और घरेलू उपाय



आधुनिक जीवनशैली में खराब खानपान, भागदौड़ भरी दिनचर्या, तनाव और अनियमितता के कारण शरीर के अनेक आयाम प्रभावित होते हैं। उन्हीं में से एक है – नाभि का टलना या खिसकना। यह आयुर्वेद और प्राचीन चिकित्सा पद्धति में एक गंभीर किंतु उपेक्षित समस्या मानी गई है।

🔍 क्या है नाभि टलना (Navel Sidestep)?

जब अचानक गिरने, फिसलने, झटका लगने या अधिक परिश्रम से नाभि में स्थित ‘समान वायु चक्र’ अपनी जगह से दाएं-बाएं या ऊपर-नीचे खिसक जाता है, तो इसे नाभि टलना कहा जाता है। इससे न केवल पेट संबंधित समस्याएं होती हैं, बल्कि पूरे शरीर और मन पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


⚠️ नाभि टलने के लक्षण:

  • पेट दर्द, गैस, अपच, दस्त या कब्ज

  • भूख न लगना, अरुचि

  • थकान, चिड़चिड़ापन, नींद न आना        

  • बालों का झड़ना, सफेद होना

  • आंखों की रोशनी पर असर

  • महिलाओं में गर्भधारण में कठिनाई

  • बार-बार सर्दी-जुकाम या त्वचा रोग

  • मानसिक बेचैनी, भय और निराशा


🧠 आयुर्वेद में नाभि का महत्त्व

आयुर्वेद में कहा गया है कि नाभि 72,000 नाड़ियों का केंद्र है। यदि यह असंतुलित हो जाए तो न केवल पाचन, बल्कि प्रजनन, मानसिक संतुलन और ऊर्जा प्रवाह भी प्रभावित होता है।


🔬 कैसे पहचानें कि नाभि टली है या नहीं?

विधि 1:

दोनों हाथों की हथेलियां मिलाएं और देखें कि छोटी उंगलियों की लंबाई समान है या नहीं। अगर एक छोटी है, तो नाभि टली हुई मानी जाती है।

विधि 2:

सुबह खाली पेट सीधे लेटकर हाथ की अंगुलियों से नाभि स्पंदन महसूस करें। यदि स्पंदन केंद्र में नहीं है, तो नाभि टली हुई है।


🩺 नाभि खिसकने के कारण और परिणाम

स्थितिपरिणाम
ऊपर की ओरमोटापा, वायु विकार
नीचे की ओरकमजोरी, दुबलापन
दाईं ओरपित्त की अधिकता, जलन, लीवर की समस्या
बाईं ओरसर्दी-जुकाम, कफ विकार

नाभि को वापस स्थान पर लाने के घरेलू उपाय

1. पैर उठाकर व्यायाम

सीधे लेटकर जिस पैर की लंबाई कम हो उसे धीरे-धीरे उठाएं और नीचे रखें। ये क्रिया 3 बार करें।

2. गुड़ और सौंफ का सेवन

20 ग्राम गुड़ और 20 ग्राम पिसी हुई सौंफ का चूर्ण बनाकर सुबह-शाम सेवन करें।

3. योगासन सहारा दें:

  • उत्तानपादासन

  • पादांगुष्ठनासास्पर्शासन

  • मत्स्यासन

  • चक्रासन

  • धनुरासन

4. अदरक और आँवला उपाय

अदरक का रस या आँवले के आटे का लेप नाभि के चारों ओर बाँधें।

5. तेल मालिश

सरसों के तेल से हल्के दबाव के साथ नाभि को केंद्र में लाएं।

6. खिचड़ी और अदरक रस

खाना हल्का रखें। खिचड़ी और अदरक का रस दें।

7. चांदी की कड़ी

पाँव के अंगूठों में चांदी की कड़ी पहनने से नाभि दोबारा नहीं टलती।


📌 महिलाओं के लिए विशेष चेतावनी

यदि नाभि रीढ़ की तरफ खिसक जाए तो महिलाएं गर्भधारण में असमर्थ हो सकती हैं। कई बार सिर्फ नाभि चक्र को संतुलित करने से ही बांझपन जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं।


✍️ निष्कर्ष

नाभि का टलना एक शारीरिक ही नहीं, मानसिक व आध्यात्मिक समस्या भी बन सकता है। इसके लक्षणों को पहचानना और घरेलू उपायों से इसे समय रहते ठीक करना बहुत जरूरी है। योग, आहार और आयुर्वेदिक उपायों से इस समस्या को जड़ से मिटाया जा सकता है।

👨‍⚕️ डॉ. राजेश अग्रवाल की Recommendation: नाभि खिसकने का आयुर्वेदिक समाधान

प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. राजेश अग्रवाल जी के अनुसार, यदि आपकी नाभि बार-बार खिसक जाती है या पुरानी समस्या बनी रहती है, तो सिर्फ योग और घरेलू उपाय ही नहीं, साथ में विशेष आयुर्वेदिक औषधियों का भी सेवन करना जरूरी है। वे सलाह देते हैं कि:

नाभि टलने में लाभकारी आयुर्वेदिक चिकित्सा:

  1. नीलकंठ तेल
    – पेट के चारों ओर हल्के हाथ से मालिश करें। यह स्पंदन को संतुलित करता है और मांसपेशियों को शिथिल करता है।

  2. आरोग्यवर्धिनी वटी
    – यह यकृत (लीवर) को सक्रिय करता है और पाचन अग्नि को संतुलित रखता है, जिससे नाभि अपनी सही स्थिति में बनी रहती है।

  3. चंद्रप्रभा वटी
    – यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों का संतुलन कर नाभि चक्र को स्थिर करती है। मूत्र संबंधी समस्या या श्रोणि क्षेत्र की दुर्बलता में भी लाभकारी है।

  4. नीलकंठ करावल पाउडर
    – पेट की गहराई से सफाई करता है और पुराने कब्ज, गैस, अफरा, और नाभि टलने की जड़ पर काम करता है।


🧘‍♀️ योग + आयुर्वेद = सम्पूर्ण समाधान

योगासन + आयुर्वेदिक औषधि + नीलकंठ तेल से मालिश =
नाभि टलने की समस्या का जड़ से समाधान


📌 ध्यान देने योग्य:


 

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